जीवन का लक्ष्य
जीवन लक्ष्य का अपना एक अलग मतलब, उसके लिए हमारी अपनी एक अलग परिभाषा!
हो सकता है किसी के लिए एक अच्छी नौकरी तो किसी के लिए एक मकान खरीद लेना एक लक्ष्य हो। लेकिन क्या ये सब वाकई एक लक्ष्य हैं? जानते है हमारा लक्ष्य वास्तव में क्या है !
व्यक्ति जो भी सोचता है या कल्पना करता है, खासकर अपने कैरियर या रिश्तों के बारे में या किसी सामुदायिक मुद्दे पर ही, वह हकीकत में कैसे बदल सकता है ?
एक खास तरह का मानसिक फोकस रखकर आप अपने जीवन में कुछ चीजों को हासिल कर सकते हैं। लेकिन वास्तव में उपलब्धि होती क्या है, इसे हमें फिर से परिभाषित करने, या कहें कि समझने की जरूरत है।
इसे कोई उपलब्धि मत समझिए कि ‘मैं नए मॉडल की कार खरीदना चाहता था और मैंने वो ले ली।’ दरअसल, यह तो होना ही था, क्योंकि बाजार आपको जीरो फीसदी ब्याज दर पर कार खरीदने के लिए कर्ज दे रहा है
जो चीज आप चाहते हैं, वो अगर आपको मिल जाए तो इसका यह मतलब नहीं कि आपने कुछ हासिल कर लिया , यह हमारा स्वभाव है !
ऐसी बहुत सी भौतिक चीजें हैं, जिन्हें आप पाना चाहते हैं ! जैसा कि कैरियर, रिश्ते या फिर सामुदायिक परियोजनाएं । ....
एक उदाहरण से समझते हैं...
एक ऑटोरिक्शा तीन लोगों को बैठा सकता है लेकिन वास्तव में वह दस लोगों को ढोता है। उसका ड्राईवर किसी तरह से इधर-उधर से खींचता हुआ उसे पहाड़ी पर चलाता है और उसकी चोटी पर पहुंच जाता है, ऊपर पहुंचकर उसे यह किसी उपलब्धि की तरह लगता है।
इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए वह इंजन को बंद कर एक कप चाय पीने बैठ जाएगा। यह चीज उसके लिए निजी या आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह कोई उपलब्धि या बड़ी सोच नहीं है। यह एक तुच्छ इच्छा है, जिसे कई दूसरे तरीकों से भी पूरा किया जा सकता था।
ऐसी चीजें लोगों के मन में बहुत बड़ी नजर आती हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी के लक्ष्य को एक खास तरीके से तय कर रखा है।
हो सकता है किसी के लिए एक अच्छी नौकरी तो किसी के लिए एक मकान खरीद लेना एक लक्ष्य हो। लेकिन क्या ये सब वाकई एक लक्ष्य हैं? जानते है हमारा लक्ष्य वास्तव में क्या है !
व्यक्ति जो भी सोचता है या कल्पना करता है, खासकर अपने कैरियर या रिश्तों के बारे में या किसी सामुदायिक मुद्दे पर ही, वह हकीकत में कैसे बदल सकता है ?
एक खास तरह का मानसिक फोकस रखकर आप अपने जीवन में कुछ चीजों को हासिल कर सकते हैं। लेकिन वास्तव में उपलब्धि होती क्या है, इसे हमें फिर से परिभाषित करने, या कहें कि समझने की जरूरत है।
इसे कोई उपलब्धि मत समझिए कि ‘मैं नए मॉडल की कार खरीदना चाहता था और मैंने वो ले ली।’ दरअसल, यह तो होना ही था, क्योंकि बाजार आपको जीरो फीसदी ब्याज दर पर कार खरीदने के लिए कर्ज दे रहा है
जो चीज आप चाहते हैं, वो अगर आपको मिल जाए तो इसका यह मतलब नहीं कि आपने कुछ हासिल कर लिया , यह हमारा स्वभाव है !
ऐसी बहुत सी भौतिक चीजें हैं, जिन्हें आप पाना चाहते हैं ! जैसा कि कैरियर, रिश्ते या फिर सामुदायिक परियोजनाएं । ....
एक उदाहरण से समझते हैं...
एक ऑटोरिक्शा तीन लोगों को बैठा सकता है लेकिन वास्तव में वह दस लोगों को ढोता है। उसका ड्राईवर किसी तरह से इधर-उधर से खींचता हुआ उसे पहाड़ी पर चलाता है और उसकी चोटी पर पहुंच जाता है, ऊपर पहुंचकर उसे यह किसी उपलब्धि की तरह लगता है।
इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए वह इंजन को बंद कर एक कप चाय पीने बैठ जाएगा। यह चीज उसके लिए निजी या आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह कोई उपलब्धि या बड़ी सोच नहीं है। यह एक तुच्छ इच्छा है, जिसे कई दूसरे तरीकों से भी पूरा किया जा सकता था।
ऐसी चीजें लोगों के मन में बहुत बड़ी नजर आती हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी के लक्ष्य को एक खास तरीके से तय कर रखा है।
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